Saturday, September 10, 2016

महापाप (बड़े गुनाह) क्या हैं ?

महापाप (बड़े गुनाह) क्या हैं

महापाप (बड़े गुनाह) प्रत्येक वह कार्य जिस का पाप बहुत ज़्यादा हो और पाप और गुनाह के कारण उसकी गम्भीरता बढ़ जाती है, इसी प्रकार प्रत्येक कार्य जिस में लिप्त व्यक्ति के लिए सजा या लानत (धिक्कारित) या अल्लाह के क्रोध का वादा किया गया हो, उसे महापाप कहते हैं।

महापाप (बड़े गुनाह) प्रत्येक वह कार्य जिस का पाप बहुत ज़्यादा हो और पाप और गुनाह के कारण उसकी गम्भीरता बढ़ जाती है, इसी प्रकार प्रत्येक कार्य जिस में लिप्त व्यक्ति के लिए सजा या लानत (धिक्कारित) या अल्लाह के क्रोध का वादा किया गया हो, उसे महापाप कहते हैं।

वास्तविक्ता तो यह है कि महापापों की संख्यां के प्रति हदीस शास्त्रों में मतभेद हैं। कुछ लोगों ने महापाप को  हदीस में बयान की गई सात वस्तुओं में सीमित कर दिया है और कुछ लोगों ने 70 बड़े गुनाह को गिनाया है तो कुछ लोगों ने उस से अधिक कहा है।

परन्तु महापापों की सही संख्यां हदीस से प्रमाणित नहीं है बल्कि यह विद्वानों की कोशिश है कि रसूल की  हदीसों से लिया गया है। जिस कार्यकर्ता को जहन्नम की धमकी, या अल्लाह की लानत या अल्लाह का ग़ज़ब और क्रोध उस पर उतरता है तो वह महापापों में शुमार होगा। जैसा कि इस्लामिक विद्वानों ने महापाप की परिभाषा किया है।

महापापों से अल्लाह और उस के रसूल ने दूर रहने का आदेश दिया है और मानव को अपने आप को इन गंदगियों से प्रदुषित न करने पर उभरा है।

महापाप से अल्लाह और उसके रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने दूर रहने की आदेश दिया है। जैसा कि
अल्लाह का फरमान है।
“जो बड़े-बड़े गुनाहों और अश्लील कर्मों से बचते हैं और जब उन्हें (किसी पर) क्रोध आता है तो वे क्षमा कर देते हैं।” (सूरः  37)

दुसरे स्थान पर
अल्लाह का फरमान है।
“यदि तुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिनसे तुम्हें रोका जा रहा है, तो हम तुम्हारी बुराइयों को तुमसे दूर कर देंगे और तुम्हें प्रतिष्ठित स्थान में प्रवेश कराएँगे।” (सूरः निसाः 31)

रसूल (ﷺ) ने फरमायाः
“पांच समय की फर्ज़ नमाज़ें और जुमा से दुसरे जुमा तक और रमज़ान से दुसरे रमज़ान तक नेक कार्य गुनाहों के लिए प्रायश्चित हैं जब तक कि महापापों से बचा जाए।” (सिल्सिला सहीहा- अलबानीः 3322)
इस हदीस में स्पष्ठ रूप से बड़े गुनाह से सुरक्षित रहने पर उत्साहित किया है और यह सूचना दी गई है कि नेकियां करने से छोटे पाप मिट जाते हैं। ”

महापाप से प्रायश्चित कैसे संभव है

अल्लाह से वास्तविक तौबा और महापाप से बहुत दूरी के माध्यम से महापाप से प्रायश्चित किया जा सकता है। हमेशा उस पाप के होने के कारण अल्लाह रो रो कर माफी मांगनी चाहिये और यदि वह महापाप किसी व्यक्ति के हक और अधिकार से संबन्धित है तो उस अधिकार को अदा करना अनिवार्य होगा। महापाप अपने अप्राध और अल्लाह की नाराज़गी के कारण कई क़िसमों में विभाजित हैं। सब से बड़ा पाप अल्लाह के साथ शिर्क है। जैसा कि सही हदीस में आया है।

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (ﷺ) ने फरमायाः
“सात सर्वनाश करने वाली चीजों से बचो,
प्रश्न किया गया है, “ वह क्या हैं ? ”
तो आप (ﷺ) ने फरमायाः “अल्लाह के साथ शिर्क, जादू, बेगुनाह की हत्या, अनाथों का माल नाहक खाना, ब्याज खाना, युद्ध की स्थिति में युद्धस्थल से भागना, भोली भाली पवित्र मुमिन महिलाओं पर प्रित आरोप लागना ”
عن أبي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ: اجْتَنِبُوا السَّبْعَ الْمُوبِقاتِ قَالُوا: يا رَسُولَ اللهِ وَما هُنَّ قَالَ: الشِّرْكُ بِاللهِ، وَالسِّحْرُ، وَقَتْلُ النَّفْسِ الَّتي حَرَّمَ اللهُ إِلاَّ بِالْحَقِّ، وَأَكْلُ الرِّبا، وَأَكْلُ مَالِ الْيَتيمِ، وَالتَّوَلِّي يَوْمَ الزَّحْفِ، وَقَذْفُ الْمُحْصَنَاتِ الْمُؤْمِناتِ الْغافِلاتِ). صحيح البخاري: 2766, صحيح مسلم: 89)
(सही बुखारीः 2766 और सही मुस्लिमः 89)
दुसरी हदीस में रसूल ने लोगों को खबरदार करते हुए कहा, महापापों में सह से बड़ा महापाप किया है जिस पर सहाबा ने कहा कि आप ही सूचित करें जैसा कि हदीस में वर्णन हुआ है।

अबू बकरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन हा कि रसूल (ﷺ) ने फरमायाः
“क्या मैं तुम्हें सब से बड़े पापों की जानकारी न दूँ, तीन बर फरमाया, तो हमने कहा, क्यों नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल! आप ने कहा, अल्लाह के साथ शिर्क करना, माता पिता की अवज्ञा करना, रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) टेक लगाए हुए थे, तो सीधा बैठ गए और फरमयाः सुनो, झूटी गवाही देना, (रावी ) कहते हैं, यह शब्द रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) बार बार दुहराते रहें, यहां तक कि सबाहा (रज़ियल्लाहु अन्हुम) हृदय में कल्पना करने लगे कि काश रसूल खामूश हो जाते। ”
عن أبي بَكْرَةَ قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم: أَلا أُنَبِّئُكُمْ بِأَكْبَرِ الْكَبائِرِ ثَلاثًا، قَالُوا: بَلى يا رَسُولَ اللهِ، قَالَ: الإِشْراكُ بِاللهِ وَعُقوقُ الْوالِدَيْنِ وَجَلَسَ،وَكانَ مُتَّكِئًا،فَقالَ أَلا وَقَوْلُ الزّورِ قَالَ فَما زَالَ يُكَرِّرُها حَتّى قُلْنا لَيْتَهُ سَكَتَ – (صحيح البخاري : 2654)
(सही बुखारीः 2654)

अबदुल्लाह बिन अम्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (ﷺ) ने फरमायाः
“बेशक सब से बड़े गुनाह में से है कि व्यक्ति अपने माता-पिता को गाली दे, लोगों ने आश्चर्य से पूंछा, क्या कोई अपने माता पिता को गाली देता है ? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमायाः व्यक्ति दुसरे व्यक्ति के पिता को गाली देता है तो वह उस के पिता को गाली देता है और उस के माता को गाली देता है।”
عن عَبْدِ اللهِ بْنِ عَمْرٍو قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صلى الله عليه وسلم: إِنَّ مِنْ أَكْبَرِ الْكَبائِرِأَنْ يَلْعَنَ الرَّجُلُ والِدَيْهِ قِيلَ يا رَسُولَ اللهِ وَكَيْفَ يَلْعَنُ الرَّجُلُ والِدَيْهِ قَالَ: يَسُبُّ الرَّجُلُ أَبا الرَّجُلِ فَيَسُبُّ أَباهُ وَيَسُبُّ أُمَّهُ  – صحيح أبي داؤد -الألباني- 5141)
(सही अबू दाऊदः 5141)


परन्तु आज के युग में माता पिता को गाली देना और मारना पीटना और उनकी हत्या करना तो सर्वजनिक घटना हो चुकी है। जरा ध्यान पूर्वक विचार करें कि जब दुसरे व्यक्ति के माता पिता को गाली देना महापाप और बड़ा गुनाह है, क्योंकि संभावना है कि वह व्यक्ति उस के माता पिता को गाली दे, तो माता पिता को गाली देना या उन्हे मारना पीटना या उनकी हत्या का पाप कितना महान होगा जिस की कल्पना भी मुश्किल है.? महापापों की कुछ उदाहरण हदीस के माध्यम से पेश की गईं परन्तु वास्तविक्ता तो यह है कि महापापों की संख्यां के बहुत ज़्यादा हैं, जैसा की हदीस शास्त्रों के बातों गुज़र चुकी हैं और इमाम ज़हबी (उन पर अल्लाह की रहमत हो) ने एक पुस्तक (अल-कबाइर) संकलन किया जिस में महापापों को हदीस एवं क़ुरआन से प्रमाणित किया है।

अल्लाह हमें और आप को महापापों से सुरक्षित रखें। आमीन